Monday, August 1, 2011

पानी का जादू

जादू किया है जिसने, वो तो है जी पानी,
सबुज कहो या हरा, या कहो तुम धानी.
गहरा है ये जादू, बात मैंने ये मानी.

नवीन कोमल कोपल, जैसे बोलें मीठी बानी,
बूढ़े पुलकित पत्तों ने भी कैसी खुशी जानी.
नूतन हुयी धरती, बन गयी ये तो रानी!   








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